नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा कोरोना बचाव को लेकर स्पष्ट नहीं है। इसलिए बस्तर के प्रशिक्षित करीब 600 स्वास्थ्य कर्मियों को ऐसे समय पर नौकरी से निकाल दिया है जब उनकी आवश्यकता कोरोना बचाव अभियान में है। इस समय कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर जो परिस्थितियां निर्मित हो रही है। उससे बचाव को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अहम है लेकिन उन्हें नौकरी से निकालकर प्रदेश की सरकार क्या साबित करना चाह रही है यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि इन स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों के संगठन ने प्रशासन से चर्चा किया तो उन्हें नौकरी के साथ ही डीएमएफ फंड से वेतन भुगतान की बात कहीं गई थी, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। नौकरी से निकाले गए बेरोजगार युवाओं के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश की सरकार कहीं भी संवेदनशील नहीं है इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों के सामने भविष्य का संकट खड़ा हो गया है।
 
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि कोरोना को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों ने पूर्व में जो सेवा कार्य किया है वह अनुकरणीय है। लगातार बस्तर के बीहड़ों में अपनी सेवाएं देकर कई लोगों की जान की रक्षा इन स्वास्थ्य कर्मियों ने किया है। इसके साथ ही कई लोगों ने तो सेवा काल के दौरान अपने घरों की ओर रूख भी नहीं किया। कई कर्मियों ने अपनों को कोरोना के दौरान खोया भी है। उन्होंने कहा कि इन स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में इनकी सहभागिता सुनिश्चित हो और साथ ही इनकी पुनः नियुक्ति तत्काल की जाए साथ ही लंबित वेतन दिया जाना चाहिए।