● कोई संयोग नहीं बल्कि एक खूनी साज़िशन प्रयोग था,
● अचानक नहीं बल्कि आयोजित था,
● कुदरती नहीं बल्कि conspiracy था
● spontaneous नहीं था sponsored था
 
आज इन तमाम बातों पर मुहर लग रही है
 
● इस स्टिंग ऑपरेशन में स्थानीय SHO और DSP(CID) को स्पष्ट सुना जा सकता है। दोनों का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूट पर होने वाले रुकावट को ले कर पहले से ही जानकारी थी।
● इस जानकारी को दोनों ने ही अपने आला अधिकारियों से (SSP इत्यादि से) समय रहते साझा कर लिया था। जानकारी साझा करने के बावजूद भी आला अधिकारियों ने इन जानकरियों को नज़रंदाज़ किया और इस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया।
● यह वाक़या दर्शाता है कि प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा चूक में पंजाब सरकार की लापरवाही नहीं बल्कि मिलीभगत थी।
● केवल स्थानीय पुलिस की ही नहीं, स्थानीय CID और intelligence ने भी कुछ दिनो पूर्व प्रधानमंत्री के रूट पर सुरक्षा चूक पर अपना रिपोर्ट दिया था। इस रिपोर्ट पर भी पंजाब सरकार आलती-पालती मार कर बैठी रही।
● पंजाब पुलिस साफ़ बता रही है कि हमें ऊपर से (पंजाब सरकार से) कुछ भी नहीं करने के निर्देश थे। ये कैसा निर्देश है? इन खुलासों से पंजाब की Congress सरकार पूर्ण रूप से expose होती है।
 
 
● SSP को बता दिया गया था: सुखदेव कहते हैं कि प्रदर्शनकारियों का सड़क पर आने का पहले से ही कार्यक्रम था। इस बारे में एसएसपी यानी प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा समूह को सजग कर दिया गया था। जब प्रदर्शनकारी अपनी-अपनी जगह से चल दिए और जब उन्होंने फिरोजशाह का नाका तोड़कर क्रॉस किया और धरना शुरू कर दिया तब भी जिले के एसएसपी को बता दिया गया था। खुफिया का काम घटना से पहले सूचना देना होता है, वह सब हमारी टीम ने किया था। 2, 3, 4 जनवरी को यह जानकारी अधिकृत तौर पर साझा की गयी थी कि प्रधान मंत्री के रूट पर और अन्य रूट पर धरना / प्रदर्शन हो सकते है। मतलब यह कहना कि प्रदर्शन spontaneous था यह सरासर झूठ है।  
         
● खालिस्तान गुट भी रैली के खिलाफ सक्रिय था: बता दें कि खालिस्तान गुट भी रैली के खिलाफ सक्रिय था। 'सिख फॉर जस्टिस' के पन्नू ने तो प्रधानमंत्री को जूता दिखाने वाले के लिए इनाम की एक लाख डॉलर इनाम की घोषणा कर दी थी। इतना होने के बावजूद प्रधानमंत्री के रास्ते में आंदोलनकारियों को आने दिया गया।
 
इसी बात को और बल मिलता है जब दूसरे समाचार चैनल्स ने यह बात की पुष्टि की है कि पंजाब पुलिस द्वारा 2, 3, 4 तारीख को इंटेल इनपुट या इंटेल मेमो या internal letter भेजे गए थे जिसमें स्पष्ट तरीके से लिखा गया था कि
 
● खराब  मौसम के चलते वकैल्पिक रूट की तैयारी रखी जाए
● प्रधानमंत्री की रैली में 1 लाख तक की भीड़ आ सकती है (चन्नी के दावे की भीड़ नहीं थी, इस से ध्वस्त होती है )
● प्रदर्शन/ धरने दिए जा सकते है लिहाजा ऐसे प्रदर्शनकारियों को पहले ही रोका जाए
 
कुलगढ़ी एसएचओ बीरबल सिंह ने कहा कि क्या कर सकते हैं: एसएचओ बीरबल सिंह ने कहा, ''सच्चाई यह है कि लोगों में रोष है। उनका गांव है, उनकी जगह है, तो मैं क्या करूं? हमें सरकार यह नहीं कहती कि उनकी पिटाई करो और या डंडे मारो। हमें हुक्म नहीं है। आंदोलनकारी जिद करके बैठ गए तो क्या कर सकते हैं।''
 
● हमें आदेश होता तो हम प्रदर्शनकारियों को हटा देते:: SPG ने अपने संदेश में पंजाब पुलिस को साफ कर दिया था कि किसी भी हालत में प्रधानमंत्री का रास्ता बाधित नहीं होगा, अगर ऐसा हुआ तो तत्काल प्रभाव से ताकत का इस्तेमाल करके सड़क को खाली करवाना होगा, लेकिन पंजाब पुलिस भी क्या करे। राज्य सरकार का ऊपर से आदेश था कि प्रदर्शनकारी किसानों को हाथ तक नहीं लगाना है। अगर आदेश होता तो बीरबल सिंह कहते हैं कि फिर तो उनको रास्ते से हटा दिया जाता लेकिन पुलिस को आदेश नहीं था कि सख्ती बरते, लेकिन पुलिस को ये भी पता था कि किसानों के नाम पर रेडिकल ग्रुप प्रधानमंत्री के विरोध के लिए एकत्रित हो रहे हैं।
 
● ये किसान-विसान कुछ नहीं: पुलिस थाने के प्रभारी बीरबल सिंह ने आगे बताया, ''सभी को पता है कि मुखालफत हो रही है। किसानों की तरफ से जाहिर तौर से वो आ गए और बात कर ली। मैं पढ़ा-लिखा बंदा हूं, ये किसान-विसान कुछ नहीं हैं। ये सारे रेडिकल्स (कट्टरपंथी) हैं। नाम किसान का लगा लिया है. किसान से नाम पर कोई भी इकट्ठा हो जाता है।''
 
 
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक राष्ट्र के लिए गंभीर परिणामों के साथ एक भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती थी:
 
● जिस फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री पीएम का काफिला फंसा था, वह पाकिस्तान सीमा से महज 10 किमी दूर था और पाकिस्तानी तोपखाने की रेंज में था। सीमा से इतनी कम दूरी में सीमा पार से ड्रोन से विस्फोटकों आदि के गिराए जाने के कई मामले सामने आये हैं।
● फ्लाईओवर अपने आस-पास की इमारतों और बड़ी संख्या में पेड़ों की जद में था - इस फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक देश के प्रधानमंत्री के काफिले के रुके होने की स्थिति में सभी संभावित स्नाइपर खतरे को रेखांकित करते हैं।
● आम तौर पर, प्रधानमंत्री के किसी भी राज्य के दौरे के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और डीजीपी प्रधानमंत्री की अगवानी करने और उनके साथ जाने के लिए उपस्थित होते हैं। लेकिन, इन तीनों में से कोई भी न तो प्रधानमंत्री की अगवानी के समय था और न ही उनके साथ था।
● एक ही समय में तीनों का गायब हो जाना या अनुपस्थित होना अत्यंत ही गंभीर समस्या है और अनगिनत प्रश्नों को जन्म देता है। ऐसा क्यों हुआ?
● उड़ान के लिए अनुपयुक्त मौसम होने के कारण प्रधानमंत्री को सड़क यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रदर्शनकारियों को कैसे पता चला कि प्रधानमंत्री ने किस सही रास्ते का इस्तेमाल किया? पुलिस की मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने इतने कम समय में सही रास्ते को कैसे इकट्ठा किया और जाम कर दिया?
 
सीएम चन्नी की अजीबोगरीब हरकतें
 
● सबसे पहले सीएम चन्नी ने प्रोटोकॉल के मुताबिक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी नहीं की। बाद में उन्होंने कहा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आ गए थे जो कोविड ​​पॉजिटिव हो गया था।
● ऐसा था तो सीएम को कम से कम फोन पर तो उपलब्ध होना चाहिए था। लेकिन इस पूरी सुरक्षा स्थिति के दौरान काफी देर तक फोन कॉल्स के जरिए उनसे संपर्क नहीं हो सका। हालांकि उसी दिन बाद में वही सीएम चन्नी बिना मास्क के इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे।
● सीएम चन्नी ने खुद स्वीकार किया कि वह प्रियंका वाड्रा को सुरक्षा उल्लंघन के बारे में जानकारी दे रहे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री भारत के शीर्ष कार्यकारी नेतृत्व से जुड़े इस मुद्दे पर यूपी कांग्रेस के एक पदाधिकारी को ब्रीफिंग क्यों दे रहे हैं? पंजाब के सीएम और उनकी पार्टी - सभी कह रहे हैं कि सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई है। कुछ नहीं हुआ तो प्रदेश के डीजीपी और फिरोजपुर के एसएसपी को क्यों सस्पेंड किया गया?
● पंजाब सरकार मीडिया में लोगों को बता रही है कि प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर हर मौसम में चलने वाला विमान है लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया गया।  खराब मौसम के दौरान हेलीकॉप्टर में हमारे देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ क्या हुआ, यह देखने के कुछ ही हफ्तों बाद ही पंजाब सरकार ऐसा कहने का दुस्साहस समझ से परे है।
 
कुछ न्यूज़ चैनल्स ने दिखाया है कि जो FIR दर्ज हुई उसमे केवल सेक्शन 283 लगाया गया जिसमें महज 200 रूपये का दंड है। वह भी अज्ञात लोगों के खिलाफ। मतलब प्रधानमंत्री की सुरक्षा और राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का जुर्माना महज 200 रूपये है कांग्रेस के लिए?
 
कुल मिलाकर कुछ चीज़ें स्पष्ट हैं:
 
● पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी जो तू-तड़ाक करके मखौल उड़ा रहे है कि कोई threat नहीं था - वह सरासर गलत है।
 
● कम से कम दो दर्जन से ज़्यादा पूर्व पुलिस और सुरक्षा मामले से जुड़े पूर्व अधिकारीयों ने स्पष्ट बताया है कि “ब्लू बुक” और VIP सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के हिसाब से यह चूक / लापरवाही जिसे हम साज़िश मानते है - वह स्टेट government / राज्य सरकार और राज्य की पुलिस की तरफ से थी।  और इन तथ्यों के आधार पर इस बात को और भी बल मिलता है कि कांग्रेस सरकार ने जान बूझ कर देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया।
 
● पंजाब की सरकार के वरिष्ठ नेता वेरका और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री इसका दोष BSF पर डालने लगे - यह कांग्रेस की सेना और सुरक्षा बल विरोधी मानसिकता को दर्शाता है कि अपनी नाकामी / निकम्मेपन / साज़िश का पाप किसी और सर डालोगे? BSF के मनोबल को तोड़ने का महापाप कर रही है कांग्रेस?
 
● सोनिया गांधी एक तरफ चिंता ज़ाहिर करने की बात मीडिया में माध्यम से बता रही हैं पर उनके नेता
 
○ सिद्धू इसे ड्रामा बोलते है।
○ हरीश रावत कहते हैं बम तो नहीं फूटा।
○ बघेल जी कहते है पत्थरबाज़ी तो नहीं हुई।
○ श्रीनिवास कहते है "hows the josh "
○ नाना पटोले घटनाक्रम को जायज़ ठहराते है और
○ चन्नी जी अब तक मान नहीं रहे की कोई खतरा था - यह दोहरापन बताता है कि कांग्रेस का असली उद्देश्य क्या था
 
राष्ट्रनीति पर राजनीति करना कांग्रेस का DNA बन चुका है
 
● यह पहली बार नहीं है कि नरेंद्र मोदी से घृणा करते करते कांग्रेस देश से, प्रधानमंत्री के पद से, संविधान, सेना और सुरक्षा, राष्ट्र हित से ही घृणा करने लगी है।
● इस से पहले भी - पुलवामा पर सियासत कर पाकिस्तान को क्लीन चिट देना, सर्जिकल स्ट्राइक पे सवाल , बालाकोट पर सबूत माँगना और बार बार पाकिस्तान और चीन के प्रोपेगंडा के साथ सुर से सुर मिलाना केवल और केवल एक व्यक्ति से नफरत करते करते यह कांग्रेस की आदत बन चुकी है।
● पर यह आज स्पष्ट है की प्रधानमंत्री की सुरक्षा में खूनी खिलवाड़ और साज़िश के तार राजनैतिक रूप से सीधे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जाकर जुड़ते है