रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा है कि प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होते ही ज़मीन माफ़ियाओं का ग़िरोह जिस तरह सक्रिय हुआ है और अब सरकारी भवनों तक का ताला तोड़कर वहाँ कब्जा करने की वारदात घट रही है, उससे साफ़ प्रतीत हो रहा है कि इन माफ़ियाओं को सरकारी संरक्षण मिला हुआ है। श्री चौधरी ने कहा कि वनाधिकार पट्टा दिलाने के नाम पर हो रही अवैध वसूली और राजधानी में सरकार की नाक के नीचे रिंगरोड की सरकारी ज़मीन की बिक्री जैसे मामलों के ख़ुलासे से भी प्रदेश सरकार की इन ज़मीन माफ़ियाओं से मिलीभगत का अंदेशा पुष्ट होता है।
 
भाजपा प्रदेश मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी इलाकों में ज़मीन माफ़ियाओं का दुस्साहस बेहद बढ़ गया है। इनमें से एक माफ़िया ने सरकारी ज़मीन के साथ-साथ सरकारी भवन का ताला तोड़कर उस पर भी न केवल कब्जा कर लिया, अपितु उसे अपना बताकर 4.50 लाख रुपए में किसी अन्य व्यक्ति को बेच डाला! जशपुरनगर ज़िले के सन्ना क्षेत्र में आदिम जाति कल्याण विभाग की भूमि पर बने शिक्षकों के भवन का ताला तोड़कर कब्जा करने और उसे बेच डालने के सामने आए मामले का ज़िक़्र करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि इस भूमि पर प्रथमिक शाला, पू.मा. कन्या शाला, राजीव गांधी कन्या आश्रम, प्री-पोस्ट बालिका छात्रावास और शिक्षक कॉलोनी स्थित है।इसी ज़गह से लगी भूमि के मालिक ने शह पाकर शिक्षक कॉलोनी के सरकारी भवन का ताला तोड़कर पहले कब्जा किया और फिर उसे अन्य को 4.50 लाख रुपए में बेच दिया। श्री चौधरी ने कहा कि इसी तरह बलरामपुर ज़िले के वाड्रफनगर के झार भेलवीपारा रामपुर निवासी में एक पहाड़ी कोरवा महिला से वन अधिकार पट्टा दिलाने के नाम पर एक आदिवासी नेता द्वारा 06 हज़ार रुपए वसूले जाने के मामले में भी की गई शिकायत पर महीनों बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किया जाना शर्मनाक और इस नाकारा प्रदेश सरकार के घोर आदिवासी विरोधी का जीता-जागता नमूना है। श्री चौधरी ने कहा कि इस प्रदेश सरकार के संरक्षण में फल-फूल रहे ऐसे तत्वों ने आदिवासियों का जीना मुश्किल  कर रखा है और प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब इस महिला के परिवार को ज़मीन पर कब्जा करने वाले पूरी पीढ़ी समाप्त कर देने की धमकी दे रहे हैं।
 
भाजपा प्रदेश मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि बड़ी-बड़ी डींगें हाँकती प्रदेश सरकार अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई के दावे तो ख़ूब कर रही है, जबकि उसकी नाक के नीचे राजधानी में ही रिंगरोड की सरकारी ज़मीन को ज़मीन माफ़िया बेखटके बेच रहे हैं। इस मामले के ख़ुलासे के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। सन् 1975-76 में रिंगरोड बनाने के लिए जिन निजी ज़मीन के खसरों में भूमि का अधिग्रहण कर मुआवज़ा आवंटित किया गया था, उन ज़मीनों की ख़रीद-बिक्री अब तक की जा रही है और संबंधित अधिकारी ज़मीन बिक्री के दस्तावेज़ों के साथ संलग्न रिंगरोड के नक्से की अनदेखी कर उक्त खरीदी-बिक्री का प्रमाणीकरण कर उक्त भूमि निजी नामों पर ही दर्ज की जा रही है! श्री चौधरी ने कहा कि कई मामलों में भूमि का स्वामित्व भी बदला जा रहा है। चंगोराभाठा में तो रिंगरोड की 12 एकड़ सरकारी जमीन में से लगभग 09 एकड़ ज़मीन बेची जा चुकी है और एक खसरे की ज़मीन को 11 टुकड़ों में बाँटकर निजी नामों पर दर्ज कर दिया गया है! श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश की कॉंग्रेस  सरकार के नाकारापन की यह पराकाष्ठा है कि जब राजधानी में ही ज़मीन माफ़िया सरकारी ज़मीन तक को नहीं छोड़ रहे हैं तो प्रदेश के दीग़र ज़िलों में हालात कितने भयावह होंगे, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के आते ही तमाम माफ़िया गिरोहों ने अंधेरगर्दी मचा रखी है। ज़ाहिर है, प्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक संरक्षण ने ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के माफ़ियाओं को दुस्साहसी बना रखा है। श्री चौधरी ने इन तमाम मामलों की उच्चस्तरीय जाँच की आवश्यकता पर बल दिया है।