बिहार की आड़ लेकर शराबबंदी से मुकरने पर आमादा प्रदेश सरकार रोज़ नित-नए शिगूफ़े छोड़ रही है : भाजपा 0 महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष शालिनी ने कहा- कांग्रेस सरकार ने दारू वाले राज्य की पहचान देकर प्रदेश का माथा शर्म से झुका दिया, शराबबंदी के वादे पर बदनीयती शुरू
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत ने कहा है कि गंगाजल की सौगंध खाकर छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली प्रदेश सरकार अब जिस तरह इस वादे से मुकर कर यू-टर्न ले रही है, वह प्रदेश की जनता, विशेषकर मातृ-शक्ति के साथ खुली धोखाधड़ी है। बिहार में शराबबंदी से होने वाली मौतों की आड़ लेकर शराबबंदी से मुकरने पर आमादा प्रदेश सरकार के इरादों पर श्रीमती राजपूत ने कहा कि शराब की कोचियागिरी करने में लगी प्रदेश सरकार अब शराबबंदी से बचने के लिए रोज़ नित-नए शिगूफ़े छोड़ रही है।
भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती राजपूत ने कहा कि कोरोना काल के भयावह दौर और लॉकडाउन में भी प्रदेश सरकार शराब बेचने के लिए इतनी लालायित रही कि ख़ुद उसने घर-घर शराब पहुँचाने और ऑनलाइन शराब बेचने का एक तरह से ठेका ले लिया था। अब वह झारखंड में शराब की बिक्री बढ़ाने के उपाायों में सहयोग कर रही है। श्रीमती राजपूत ने कहा कि अभी हाल ही झारखंड के अधिकारियों ने प्रदेश के शराब क़ारोबार का अध्ययन करने छत्तीसगढ़ का दौरा किया। कभी प्रदेश के सांस्कृतिक, लोक संस्कृति, सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी योजनाओं के अध्ययन के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों के लोग भाजपा की पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार के शासनकाल में छत्तीसगढ़ आया करते थे, आज इस कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ को दारू वाले राज्य की पहचान देकर प्रदेश का माथा शर्म से झुका दिया है। श्रीमती राजपूत ने कहा कि अब कांग्रेस अपने वादे से मुकरने के लिए बिहार की आड़ लेकर कह रही है कि चूँकि बिहार में शराबबंदी से मौतें होती हैं, इसलिए छत्तीसगढ़ में शराबबंदी सोच-समझकर की जाएगी। समूचे छत्तीसगढ़ को शराब, ड्रग्स के नशे की खाई में धकेल चुके कांग्रेस के नेता अब ‘सोच और समझ’ की बात करने लगे हैं, इससे बड़ी आश्चर्य की बात और क्या हो सकती है! श्रीमती राजपूत ने कहा कि जो प्रदेश सरकार तीन साल में शराबबंदी के लिए कुछ सोच-समझ प्रदर्शित नहीं कर पाई, वह अब क्या खाक़ सोच-समझ दिखाएगी? शराबबंदी के वादे को लेकर कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार की बदनीयती शुरू से ही सामने आती रही है और समितियों को गठन के अलावा इस सरकार ने अपने इस वादे पर अमल करने की कोई ठोस पहल नहीं की।