रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि प्रदेश सरकार और उसका वन मंत्रालय वन्य प्राणियों तक की सुरक्षा करने में नाकारा साबित हो रहा है। वन्य प्रणियों के अवैध शिकार, उनकी खाल की तस्करी के कई मामले सामने आने के बाद भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार ख़ामोशी ओढ़े बैठी है, जिससे यह आशंका अब सत्य प्रतीत हो रही है कि इन शिकारियों और तस्करों का दुस्साहस सत्ता-संरक्षण में बढ़ रहा है और संबंधित अधिकारी या तो ख़ुद इस ओर से आँखें मूंदे बैठे हैं या फिर वे भी राजनीतिक दबाव के आगे आत्म-समर्पण की मुद्रा अपनाने विवश हैं।
 
पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि अब तक हाथियों की अप्राकृतिक मौतों के 174 मामलों में 55 हाथी बिजली के करंट से मौत के मुँह में गए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार दो साल पहले जारी अपने ही उस आदेश को भुला बैठी है जिसमें बिजली करंट से हाथियों की मौत पर संबंधित क्षेत्र के बिजली विभाग के ईई के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कही गई थी और अब तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हाल ही एक गर्भिणी हथिनी की बिजली करंट से हुई मौत के मामले में लीपापोती के किए गए प्रयासों को शर्मनाक बताते हुए श्री गागड़ा ने कहा कि  एक ओर हाथियों की जान ख़तरे में पड़ी हुई है और वन विभाग और बिजली विभाग आपस में उलझ रहे हैं। बिजली विभाग इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मद्देनज़र केंद्र सरकार के जारी स्पष्ट आदेशों का पालन भी नहीं कर रहा है। अधिकारियों की अनुशंसा के बाद भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करने से वन्य प्रणियों की सुरक्षा ख़तरे में है। श्री गागड़ा ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि कांग्रेस की प्रदेश सरकार दो साल पुराने अपने ही आदेश पर अमल नहीं करा पा रही है।