घर घर रोजगार हर घर रोजगार की हवा निकल गयी तो रोज़गार मिशन का झुनझुना पकड़ाया जा रहा हैं- उमेश घोरमोड़े छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिशन की नहीं ठोस कदम की आवश्यकता हैं
रायपुर। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी उमेश घोरमोड़े ने छत्तीसगढ़ सरकार के रोजगार मिशन को छत्तीसगढ़ के युवाओं को छलने और ठगने की दिशा में एक और कदम बताया हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को छलने और ठगने बाकायदा मिशन का शुभारंभ किया गया हैं। घर घर रोजगार हर घर रोजगार की हवा निकल गयी तो रोजगार मिशन के नाम पर 5 साल का झुनझुना पकड़ाया जा रहा हैं। जिस सरकार का महज 2 वर्ष शेष हो और उसके बाद विदाई तय हों वो 5 वर्ष की बात कर छत्तीसगढ़ के युवाओं को झूठे सपने दिखाना बंद करें। जिनका कुर्सी दौड़ का इतिहास रहा हो, जिनका कल का कोई भरोसा न हो वो 5 साल की बात करें तो समझा जा सकता हैं वे कितने गम्भीर हैं।
भाजयुमो के प्रदेश मीडिया प्रभारी उमेश घोरमोड़े ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार को छत्तीसगढ़ के युवाओं की इतनी ही चिंता हैं तो 2500 रुपये भत्ता देने का वादा क्यों पूरा नहीं करते? क्यों अनियमित, संविदा एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमित नहीं कर देते? शासकीय विभागों में रिक्त 1 लाख पदों पर तत्काल भर्ती का आदेश क्यों नहीं देते? उन्होंने कहा कि चुनाव में किये वादे के अनुसार 200 फ़ूड पार्क प्रत्येक ब्लाक में कम से कम एक फूड पार्क की स्थापना का वादा पूरा करें और युवाओं को उसमे रोजगार दें और मिशन का खेल बंद करें। घोरमोड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अमूल मॉडल की तरह प्रत्येक जिले में दुग्ध समिति की स्थापना का ही वादा पूरा कर दें और उसमें युवाओं को रोजगार दें मिशन के नाम पर युवाओं को छलना बंद करें।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी कम से कम पर्यटन स्थल के विकास हेतु मास्टर प्लान का ही वादा पूरा कर दें ताकि आपके वादे के अनुरूप रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, घोरमोड़े ने याद दिलाते हुए सवाल किया कि 3 वर्ष के भीतर पर्यटन को उद्योग का स्वरूप देने का वादा था वो पूरा हुआ नहीं और आप 5 वर्ष का मिशन लेकर आ गए अब कैसे करें भरोसा जब आपके किये वादों में ही हैं धोखा?
भाजयुमो प्रदेश मीडिया प्रभारी उमेश घोरमोड़े ने कहा कि छत्तीसगढ़ में रोजगार देने वाली नहीं रोजगार छिनने वाली सरकार हैं। कोरोना काल में अपनी जान हथेली पर रख सेवा देने वाले लगभग 600 स्वास्थ्य कर्मियों को बस्तर जैसे क्षेत्र में नौकरी से निकाल देना ताजा उदाहरण हैं। रेडी टू ईट में महिला स्वसहायता समूहों का भविष्य अधर में हैं। स्कूल सफाई कर्मी, विद्या मितान की हालत आज किसी से छुपी नहीं हैं, पुलिस भर्ती के अभ्यर्थियों को कैसे प्रताड़ित किया गया किसी से छुपा नहीं हैं। आज एक- एक पद के लिए लाखों युवाओं की कतार सरकार के दावों की पोल खोलती हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिशन की नहीं ठोस कदम की आवश्यकता हैं जो छत्तीसगढ़ सरकार अब तक उठा नहीं पायी हैं।