भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने भूपेश सरकार पर  वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि यह सरकार किसान विरोधी सरकार है । पूरे प्रदेश में बड़े-बड़े फ्लेक्स लगाकर 105 लाख मिo टन धान खरीदने का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस सरकार मात्र 98 लाख मिo टन ही धान खरीदी कर पाई जबकि पूरे प्रदेश में 30 लाख 26 हजार सात सौ बाइस  हेक्टेयर रकबा का पंजीयन किया गया था। जिसके हिसाब से 112 लाख मैट्रिक टन धान की खरीदी किया जाना था किंतु सरकार अपने द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य 105 लाख मैट्रिक टन के बराबर भी    धान खरीदी नहीं कर पाई जो किसानों के साथ धोखा है ।  श्री द्विवेदी ने बताया कि पूरे प्रदेश में  24 लाख किसान पंजीकृत थे जिनमें से लगभग ढाई लाख किसानों को एक बार भी टोकन नहीं मिल पाया तथा ढाई लाख किसानों को दूसरा और तीसरा टोकन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी उपज को औने पौने दर में बेचने मजबूर हैं। श्री द्विवेदी ने कहा की इस प्रकार लक्ष्य से लगभग 7 लाख  मिo टन धान की खरीदी कम की गई एवं पंजीकृत रकबा के  हिसाब से लगभग 15 लाख मिo टन  किसानों का धान सरकार   नहीं खरीद पाई। जिससे कर्ज के बोझ से लदे किसान आत्महत्या कर रहे हैं और कुछ अपनी उपज को औने पौने दर पर बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
इस तरह  सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। 
  श्री द्विवेदी ने बताया कि सरकार कहीं गिरदावली के नाम पर तो कहीं किसानों की कृषि भूमि को परिवर्तित भूमि  दर्शा कर रकबे की कटौती कर अनेकों किसानों को धान बेंचने से वंचित कर दिया। इस प्रकार 21लाख 77 हजार किसान धान बेच पाए और लगभग 9 लाख पचास हजार  एकड़ पंजीकृत रकबे की  धान फसल को ढाई लाख किसान एक बार भी धान  नहीं बेंच पाए।  श्री द्विवेदी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि किसान हितैषी बनने का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार आखिर किसानों को कब तक धोखा देती रहेगी। श्री द्विवेदी ने बताया कि अभी भी उपार्जन केंद्रों में 2950000 मीo टन धान शेष पड़ा हुआ है । इसका समयावधि में उठाव  नहीं हुआ तो गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी धान में शोर्टेज आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। श्री द्विवेदी ने सरकार से मांग की है कि गत वर्ष  सोसायटियों  द्वारा खरीदे गए धान के कमीशन की राशि  और समयावधि में उठाव नहीं होने के कारण सरकार द्वारा  प्रावधान किए गए शोर्टेज की  राशि अभी तक सोसाइटी के खाते में नहीं आई है ।उसे तत्काल सोसाइटीयों के खाते में डाली जावे। वरना सोसायटियों की आर्थिक स्थिति दयनीय होती जा रही है । इस पर सरकार ध्यान दें । साथ ही यह भी मांग की है कि सरकार द्वारा  घोषणा पत्र के मुताबिक धान के अंतर की एक मुश्त राशि किसानों के खाते में डाली जावे।