रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने झीरम घाटी नक्सली हमले के मामले में उच्च न्यायालय के फ़ैसले के मद्देनज़र कांग्रेस के बयान पर पलटवार कर कहा है कि भाजपा यह चाहती है कि झीरम का सच शीघ्रातिशीघ्र सामने आए और पीड़ितों को न्याय मिले तथा प्रदेश ऊहापोह से उबरे। श्री श्रीवास्तव ने सवाल किया कि आख़िर कांग्रेस झीरम मामले की जाँच को लटकाना क्यों चाहती है?
 
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने ही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए)का गठन किया था और झीरम मामले की जाँच का ज़िम्मा भी कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ही एनआईए को सौंपा था। अब मुख्यमंत्री बघेल और कांग्रेस नेता यह बताएँ कि क्या उन्हें अपनी तत्कालीन केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है या फिर प्रदेश सरकार और कांग्रेस जानबूझकर  सच को सामने नहीं आने देना चाहती? श्री श्रीवास्तव ने कहा कि झीरम मामले की जाँच को लेकर मुख्यमंत्री बघेल की हरक़तें भी संदिग्ध नज़र आती हैं। जेब में झीरम के सबूत लिए घूमने की बात कहकर शेखी बघारते मुख्यमंत्री बघेल का आज तक किसी भी संबंधित एजेंसी को कोई भी ऐसा सबूत नहीं सौंपना क्या साक्ष्य छिपाने का गंभीर अपराध नहीं माना जाना चाहिए? श्री श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा झीरम मामले को अति विशेष प्रकरण मानती है और इसलिए एनआईए से इस मामले की जाँच का फैसला तत्कालीन कांग्रेस सरकार का सही फ़ैसला था, क्योंकि इसमें दर्जनों संभावनाशील और योग्य नेताओं की बर्बर हत्या हुई थी। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि झीरम मामले में कांग्रेस का रुख़ हमेशा संदेह के दायरों में ही रहा है।
 
भााजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा नक्सलियों को क्लीन चिट देना उस नक्सल आतंक को ताक़त देना हुआ जिसे कांग्रेस की सरकार ने ही आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ाा संकट बताया था। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य शासन भी झीरम मामले को ‘एक वृहद राजनीतिक षड्यंत्र’ मानता है, अत: राज्य पुलिस से इसकी निष्पक्ष जाँच की उम्मीद नहीं की जा सकती और इसलिए इसकी निष्पक्ष और सक्षम केंद्रीय एजेंसी से ही जाँच कराई जानी चाहिए। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा यह चाहती है कि चाहे जैसी भी जाँच हो, झीरम मामले का सच ज़ल्द-से-ज़ल्द सामने आना चाहिए और अगर राज्य की पुलिस इसकी जाँच करे तो यह सुनिश्चित होना चााहिए कि वह बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करे।