रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस के चिंतन शिविर में सांसद राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाये जाने की वैचारिक मांग पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि कांग्रेस को अध्यक्ष की चिंता नहीं बल्कि कांग्रेस की चिंता करने की जरूरत है। कांग्रेस हम तीन में सिमट चुकी है। जब माताजी राजी हैं, बहिनी राजी है, भैया राजी है तो फिर चिंतन करने की जरूरत ही कहां है। राजस्थान के उदयपुर में जो नव संकल्प चिंतन शिविर लगा था, उसका मकसद सामने आ गया है कि कांग्रेस की प्रांतीय इकाइयां यह चिंतन करें कि मलिका के बाद शहजादे को फिर से कांग्रेस की सल्तनत सौंपी जाय। भाजपा ने कांग्रेस के चिंतन का स्वागत करते हुए कहा है कि अगले लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन  का चिंतन हमारे लिए फिर से शुभ संकेत है। राहुल गांधी के हवा हवाई नेतृत्व में कांग्रेस की जो दुर्गति हो चुकी है, उससे भी दयनीय हालत को कांग्रेस न्योता दे रही है तो उसे बहुत बहुत धन्यवाद।
 
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि उदयपुर चिंतन शिविर का नतीजा सामने आ चुका है। कांग्रेस में पतझड़ का मौसम चल रहा है। कपिल सिब्बल हाथ छुड़ाकर साइकिल पर सवार हो गए। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़, पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल की नाराजगी, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के मामले में चिंता करने की जगह कांग्रेस को यह चिंता हो रही है कि राहुल गांधी को जल्द से जल्द फिर से अध्यक्ष कैसे बनाया जाए।
 
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि  वैसे राहुल की ताजपोशी की चिंता करने की कांग्रेस को कोई जरूरत नहीं है। यह फैसला करने में वे मां, भाई, बहिन अधिकृत ही हैं, जिन्होंने गुलाम अली आजाद सहित जी 24 के तमाम नेताओं को ठिकाने लगाकर अपने दरबारियों को राज्यसभा की टिकट दे दी। छत्तीसगढ़ से लेकर राजस्थान तक, महाराष्ट्र से लेकर पूरे देश में कांग्रेस के जमीनी नेता किनारे कर दिए गए। इसकी चिंता करने की हिम्मत गुलामों में नहीं है। कांग्रेस के  मालिकों के दरबारी नेता ही यह स्पष्ट करते हैं कि कांग्रेस संविधान के अनुसार कोई अध्यक्ष लाइफ टाइम अध्यक्ष रह सकता है। जिस पार्टी के संविधान में ही ऐसी व्यवस्था हो, वह पार्टी लोकतांत्रिक मानी जाय अथवा प्राइवेट कंपनी, कांग्रेस को दरअसल इस पर चिंतन करना चाहिए, जो वह कभी नहीं कर सकती!
 
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि चिंतन इस पर होना चाहिए कि कांग्रेस में एक परिवार के बीच राज्यसभा की सीटों का बंटवारा होना चाहिए या राज्यों की भावनाओं का भी कुछ सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढियावाद का राग अलापने वाले कांग्रेस नेताओं में गैरत है तो वे यह चिंतन करें कि एक परिवार से कांग्रेस चलती रहेगी या कांग्रेस संगठन का भी कोई महत्व होगा? कांग्रेस में संगठन के नाम पर एक परिवार और उसके चाटुकारों की जमात ही  सब कुछ है। तभी तो बड़ी मिन्नतों के बाद सोनिया गांधी के संपर्क में आये राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी यह समझाकर चलते बने कि हमारे भरोसे मत रहना, आपका कुछ नहीं हो सकता।