डॉक्टर गंभीर सिंह को 3 माह के लिए चिकित्सकीय से पृथक किए जाने की कार्यवाह गैर जरूरी एवं राजनीतिक- विमल चोपड़ा छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राजनीतिक दुर्भावना का उदाहरण पेश किया है
भारतीय जनता पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ विमल चोपड़ा, पूर्व प्रदेश संयोजक डॉ अखिलेश दुबे, पूर्व प्रदेश संयोजक डॉ0 जे.पी. शर्मा ,सहसंयोजक डॉ खाण्डेलवाल, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ रवि राठी, एवं डॉ रामेश्वर ठाकुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में रिम्स मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉक्टर गंभीर सिंह सेंदराम को छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल द्वारा 3 माह के लिए चिकित्सकीय से पृथक किए जाने को गैर जरूरी एवं राजनीतिक कार्यवाही बताते हुए निंदा की है। डॉक्टर चोपड़ा ने कहा कि एक प्रशासनिक कार्य में यदि कोई खामियांँ पाई जाती है तो उसके लिए चिकित्सकीय कार्य में प्रतिबंध ऐसा ही है जैसे राजस्व के प्रकरण को अपराधिक मान लिया गया और सजा मनमाने ढंग से सुना दी गयी। छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल की सामान्य सभा में पदस्थ लोगों के नाम देखने से लगभग स्पष्ट हो जाता है कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े एक कांग्रेसी नेता के गिरोह के रूप में इसका संचालन हो रहा है जहाँ डॉ0 गंभीर पर कार्यवाही मात्र इसलिए कि गई कि वो पिछले चुनाव में मरवाही विधानसभा के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। भाजपा से संबंधित होने के कारण उन्हें मनमाने तौर पर सजा दी गई जो कि सामान्य सभा में उपस्थित चिकित्सको की सोच पर भी प्रश्न उठाता है। इन चिकित्सकों को इस बात का पूणर्तः ज्ञान भी है कि अधिष्ठाता का पद प्रशासकीय है एवं इसके निर्वहन में होने वाली त्रुटि सजा प्रशासकीय होगी जिसका कोई भी अधिकार छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल को न होकर स्वास्थशिक्षा विभाग को होगा परंतु जान बूझकर इस प्रकार की कार्यवाही कर छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल की प्रतिष्ठा को गिराने का काम किया गया।।
इस संपूर्ण प्रकरण को देखने पर लगता है कि कांग्रेस के एक स्वनाम धन्य चिकित्सक नेता जिनको आज कांग्रेस ने भी अप्रसांगिक मान लिया है व्यक्तिगत रंजिश को लेकर छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल के माध्यम से इस प्रकार की कार्यवाही कर रहे हैं क्योंकि इनका एवं इनके चंगू मंगू लोगों का छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल में कब्जा है। इसलिए इसने अवैधानिक कार्यवाही करायी।
डॉक्टर चोपड़ा ने डॉक्टर गंभीर के अनूसूचित जनजाति समुदाय से होने के कारण भी इनकी प्रताणना की गंभीरता ज्यादा बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल में पदस्थ लोगों के नाम देखने से स्पष्ट होता है कि इसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों का प्रतिनिधित्व नही है इस लिए कांग्रेसी नेता के नेतृत्व में इस प्रकार का फैसला लेकर अनुसूचित जनजाति के समुदाय के डॉक्टर को प्रताड़ित करने का कार्य किया गया ।
डा0 चोपड़ा ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि इस प्रकार का मनमाना फैसला लेने वाली छत्तीसगढ़ मेडिकल कौसिल को तत्काल भंग किया जाय एवं राजनैतिक आधार पर कार्य करने वाले चिकित्सकों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए अन्यथा भारतीय जनता पार्टी का चिकित्सा प्रकोष्ठ आंदोलन का रास्ता अपनाएगा