रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी नलिनीश ठोकने ने कांग्रेस द्वारा 21 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ईडी के बुलावे के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किये जाने को भ्रष्टाचार के समर्थन में एक और तमाशा करार देते हुए कहा है कि राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान कांग्रेस ने ईडी पर दबाव बनाने की जिस तरह कोशिश की, वह सोनिया गांधी से पूछताछ में दोहराना चाहती है। सवाल यह है कि यदि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और उनकी मंडली 2 हजार करोड़ के नेशनल हेराल्ड मामले में पाकसाफ हैं तो उन्हें ईडी की पूछताछ से भय क्यों है? वे इस पूछताछ से क्यों बचना चाहते हैं? न आने के लिए टालमटोल क्यों करते हैं? राहुल गांधी से पूछताछ के पहले से कांग्रेस ने ईडी के खिलाफ बहुत कुछ कहा। पूछताछ के दौरान दिल्ली में खूब नाटक किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, उनका मंत्रिमंडल, विधायक और संगठन अध्यक्ष से लेकर इकाई नेता तक दिल्ली में हंगामा करने पहुंचे। आखिर क्यों? ईडी जिस कानूनी प्रक्रिया के तहत पूछताछ कर रही है, उसमें कांग्रेस बाधा क्यों डाल रही है? क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी देश के संविधान से ऊपर हैं? क्या इनसे पूछताछ नहीं होनी चाहिये? क्या इन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान से बनी सम्पत्ति की बंदरबांट का अधिकार हासिल है? क्या इन पर देश का कानून लागू नहीं होता?
 
प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी नलिनीश ठोकने ने कहा कि जब राहुल गांधी से पूछताछ के समय सोनिया गांधी से भी पूछताछ होनी थी, तब उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए समय मांगा। ईडी ने उन्हें एक माह का समय देने के बाद अब बुलाया है तो कांग्रेस को आपत्ति क्या है? सोनिया गांधी को इतनी बार समय दिया जा चुका है कि कांग्रेस के विधि विशेषज्ञ भी समझ रहे हैं कि अब पूछताछ से बचना मुश्किल है।  यदि सोनिया गांधी ईडी के सवालों  को लेकर परेशान हैं और वे कांग्रेस संगठन को अपना सुरक्षा कवच मान रही हैं तो उन्हें समझना चाहिए कि भारत में कानून के ऊपर कोई नहीं है। कांग्रेस के लोगों को भी समझना चाहिए कि वे एक परिवार की खातिर देश के पुरखों के साथ हुए छल को समर्थन दे रहे हैं लेकिन वे न्याय व्यवस्था को प्रभावित नहीं कर पाएंगे।