रायपुर। भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर दिये गए बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि भूपेश बघेल अपना घर देखें, जहां एक ही परिवार ने कब्जा कर रखा है। भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र है। सभी कार्यकर्ताओं को समय समय पर नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलती है। भाजपा में नेतृत्व की एक लम्बी श्रृंखला है। भाजपा में नेतृत्व का अभाव कभी हो नहीं सकता। भाजपा का हर कार्यकर्ता मजबूत नेतृत्व देने में सक्षम है। भाजपा में बूथ स्तर का कार्यकर्ता प्रधानमंत्री बनता है। बूथ स्तर का कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष बनता है। बूथ स्तर का कार्यकर्ता ही मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष बनता है। विष्णुदेव साय तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे हैं। पार्टी उनके अनुभवों का लाभ आगे भी लेती रहेगी। भाजपा सांसद साहू ने कहा कि केन्द्र में भाजपा ने अनुसूचित जाति वर्ग से सांसद श्रीमती रेणुका सिंह को केन्द्रीय मंत्री बनाया है। उन्होंने कहा कि मोहन मरकाम को भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनाए।
 
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष मोतीलाल साहू ने कहा कि आदिवासियों से दुश्मन जैसा व्यवहार करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आदिवासी के नाम पर झूठी हमदर्दी दिखाने की जरूरत नहीं है। ये वही कांग्रेसी मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू जी से बात तक करना पसंद नहीं किया था। कदम कदम पर आदिवासी हितों की बलि चढ़ाने वाले भूपेश बघेल आदिवासी के नाम पर ढोंग करने से बाज आयें। उन्होंने कहा कि साहू समाज को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सम्मान मिल रहा है तो भूपेश बघेल दुखी क्यों है? और यदि आदिवासी के खुद हितैषी है तो अपनी कुर्सी मोहन मरकाम को सौंप अपनी बात को प्रमाणित करें।
 
प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष अमित साहू, ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम तो संगठन में पहली बार में ही उत्पीड़न का शिकार हो गए। भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस के आदिवासी अध्यक्ष के साथ जो व्यवहार कर रहे हैं, वह सबको पता है। भाजपा आदिवासियों का सम्मान करती है, यह सम्पूर्ण विश्व के आदिवासी समाज ने देख लिया कि आज भारत की वह आदिवासी महिला हमारी सर्वाेच्च हैं, जिन्हें लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी राष्ट्रपत्नी कहकर अपमानित करने का पाप करते हैं तब सोनिया, राहुल, प्रियंका और उनके चाटुकार भूपेश बघेल का आदिवासी प्रेम कहां विलुप्त हो जाता है?