खाद समस्या
          भाजपा सरकार के समय 70% खाद सहकारी समितियों के माध्यम से वितरण किया जाता था जबकि उस समय 18 लाख किसान सहकारी समितियों में पंजीकृत थे अब सहकारी समितियों में 22 लाख से अधिक पंजीकृत किसान है ऐसी परिस्थिति में 80% खाद सहकारी समिति के माध्यम से वितरण किया जाना चाहिए।
 
राज्य सरकार द्वारा मई में 70 प्रतिशत खाद सहकारी समिति एवं 30 प्रतिशत  खाद निजी क्षेत्र में दिए जाने हेतु आदेश जारी किया था जिसे जून में बदलकर 65 प्रतिशत एवं 35 प्रतिशत कर दिया गया जबकि सच्चाई यह है कि अब तक भंडारित 11,60,000 टन खाद में से 6,40,000 टन अर्थात 55 प्रतिशत ही खाद सहकारी समितियों को मिल पाया है। जबकि निजी क्षेत्र को 5,20000 टन अर्थात 45 प्रतिशत दे दिया गया, इस प्रकार सहकारी समिति को अंतिम निर्धारित मात्रा से भी 1,14,000 टन कम दिया गया और यही सब कारण है कि खाद के कमी और कालाबाजारी का।
 
वास्तव में सहकारी समितियों में बढ़े किसानों की संख्या को देखते हुए भंडारित खाद में से 80 प्रतिशत सहकारी समिति को दिया जाना चाहिए जो कि 9,28,000 टन होता है जबकि दिया गया मात्र 6,40,000 टन जो कि व्यवहारिक मात्रा से 2,88,000 टन कम है यह किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है।
 
सिंचाई - बिजली
          5 साल में सिंचाई का रकबा दुगना करने के वादा करके यह सरकार सत्ता में आई है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बताएं सिंचाई का रकबा कब दुगना करेंगे? इस सरकार के कार्यकाल का 75 प्रतिशत समय बीत चुका है ऐसी स्थिति में वादा के अनुसार 2018 के सिंचाई रकबा में भी 75 प्रतिशत बढ़ोतरी हो जानी थी परंतु बढ़ोतरी आंकड़ों के अनुसार मात्र 03 प्रतिशत ही दिखाई पड़ रही है। 
            अभी हाल में ही एक रिपोर्ट के अनुसार सावन माह के अंतिम चरण तक छत्तीसगढ़ में लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 69 प्रतिशत ही बोनी संपन्न हो पाई है, भादो माह लगने वाला है और 31% बोनी बाकी है यह बहुत भयावह स्थिति है जो कि अवर्षा के चलते हुआ है। स्थिति बहुत गंभीर है इससे निपटने सरकार क्या कर रही है? मुख्यमंत्री लगातार छत्तीसगढ़ से बाहर हैं दिल्ली में परिवार बचाओ आंदोलन में आंदोलित है और बचे समय में हिमाचल चुनाव में मस्त हैं किसान कहीं अवर्षा तो कहीं अतिवृष्टि से जूझ रहे हैं सरगुजा संभाग अवर्षा की चपेट में हैं तो बस्तर अतिवृष्टि के चपेट में।  अधिकारी अनावारी रिपोर्ट एकत्र कर मुदित है, बेमेतरा, महासमुंद के खल्लारी क्षेत्र सहित मध्य छत्तीसगढ़ के अनेक असिंचित क्षेत्र कम वर्षा से प्रभावित हैं अटल ज्योति लाइन के ट्रांसफार्मर एवं बिजली की अनुपलब्धता के चलते किसानों के पंप हांफ रहे हैं सरकार घोर निंदा में हैं।
 
गौमूत्र खरीदी 
         5 लीटर की नपना जार के साथ फोटो खिंचवा कर मुख्यमंत्री गोमूत्र खरीदी का प्रपंच रच रहे हैं उस फोटो सेशन के बाद आज 13 दिन बीत जाने बाद पता ही नहीं चल पा रहा है कि गोमूत्र कौन खरीद रहा है? कहां खरीद रहा है? उस कथित गोमूत्र खरीदी सेंटर का कहीं अता पता नहीं है और लाखों का विज्ञापन बाजी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आवास में गौमूत्र खरीदी का स्वांग रच मुख्यमंत्री ने किसानों और गौपालकों को ठगने का महापाप किया है। मुख्यमंत्री जी बताएं कहां-कहां गोमूत्र खरीदी हो रही है अन्यथा गोमूत्र लेकर मुख्यमंत्री निवास आएंगे और सद्बुद्धि हेतु मुख्यमंत्री आवास का गोमूत्र से शुद्धिकरण करेंगे।