रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय, रामविचार नेताम, विष्णु देव साय, विक्रम उसेंडी,केदार कश्यप, महेश गागड़ा, विकास मरकाम ने आदिवासी आरक्षण में कटौती के लिए कांग्रेस पर साजिश करने का आरोप लगाया है। संयुक्त पत्रकार वार्ता में भाजपा नेताओं ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी समाज के हित में  ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उनके आरक्षण को 20 फीसदी से 32 प्रतिशत किया। एकमुश्त 12 प्रतिशत की वृद्धि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ही की और उसे लागू रखने में कामयाबी हासिल की। जो कांग्रेस को नागवार गुजर रही थी इसलिए कांग्रेस की सरकार जान बूझकर मुकदमा हार गई, ताकि आदिवासी आरक्षण में कटौती का उसका लक्ष्य हासिल हो जाय। कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से आदिवासियों के हितों पर आघात किया है। कांग्रेस जिस डाटा में गड़बड़ी का तर्क दे रही है, वह कांग्रेस की कुटिलता का प्रमाण है। कांग्रेस क्या चार साल से सो रही है और अब जागने पर उसे आंकड़ों में त्रुटि नजर आ रही है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में भी हारने का अग्रिम इंतजाम कर लिया है।
 
इत्तेफाक की बात है कि जिस रोज बिलासपुर हाई कोर्ट में आरक्षण का मामला चल रहा था, दूसरे तरफ सुप्रीम कोर्ट में उसी दिन उसी समय कांग्रेस की सरकार पर एक गंभीर आरोप लग रहा था कि वह छत्तीसगढ़ में हुए घोटाले के आरोपी अधिकारियों को गलत तरीके से बचाने का प्रयास कर रही है और यह आरोप किसी छोटे व्यक्ति पर नहीं, बल्कि सीधा मुख्यमंत्री और उनसे जुड़े लोगों पर लगा।
 
एक तरफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बड़े और दिग्गज वकील जिनकी एक पेशी की फीस  लगभग 25 -25 लाख है, जिनमें प्रमुखता से कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, श्री द्विवेदी के साथ अन्य वकीलों की फौज भ्रष्टाचारियों को बचाने लड़ती रही और दूसरी तरफ हाई कोर्ट में आदिवासी समुदाय के आरक्षण के मुद्दे पर, जिससे जनजाति समाज का भला हो रहा था,  इसकी पैरवी करने के लिए किसी बड़े वकील को नहीं लगाया गया ।
यह कांग्रेस सरकार की मंशा को जाहिर करता है। उसकी नीयत आदिवासी समाज के प्रति खोटी है। कांग्रेस के  नेता लगातार बयान देते रहे हैं कि आदिवासी पंचर बनाने का काम करें।  ये कभी नहीं चाहते कि आदिवासी समाज आगे बढ़े। इसीलिए एक महिला आदिवासी जब राष्ट्रपति बन रही थी, तब उनकी राह में रोड़ा अटकाने का काम  कांग्रेस ने किया और एक महिला आदिवासी राष्ट्रपति न बन सके,  इसके लिए वोट किया। जब उनका छत्तीसगढ़ का दौरा हुआ, तब कांग्रेस के नेताओं ने उनसे मिलना तक सही नहीं समझा। यहां तक कि मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति तक ने सम्पर्क करने पर फोन तक नहीं उठाया और विचारधारा पर बयानबाजी करते रहे। इनकी विचारधारा ही आदिवासी विरोधी है। कांग्रेस की सरकार ने आरक्षण मामले में भी आदिवासी समाज को धोखा दिया। यह आदिवासी समाज का बहुत- बहुत - बहुत बड़ा अपमान है।
 
जब छत्तीसगढ़ कांग्रेस को मौका मिला कि वह आदिवासी समाज के किसी नेता को राज्यसभा भेजकर छत्तीसगढ़ के हितों की बात करवाए, आदिवासी समाज के हितों की बात करवाएं, तब उसने प्रदेश के बाहर से आयातित तीन लोगों को, जिनका  छत्तीसगढ़ से कोई मतलब नहीं है, उन्हे गांधी परिवार का आदेश मान कर राज्य सभा भेज दिया।
 
कांग्रेस पार्टी आदिवासियों से नफरत करती है। उन्हें आगे बढ़ते देखना नहीं चाहती, इसीलिए उन्हें मिल रहा आरक्षण कम कराने का फार्मूला निकालने षड्यंत्र रचा गया और सलीके से पैरवी नहीं कराई।