रायपुर। अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एसएनसीयू वर्ल्ड 4 नवजात बच्चों की मौत का मामला अभी थमा ही नहीं था कि, स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का एक और मामला जनता के सामने आ गया। यह मामला कोरबा जिले के अंतर्गत वनांचल ग्राम डूमरडीह का है। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज वाले मामले में 4 नवजात शिशुओं ने दम तोड़ा था पर यहां यहां तो गर्भस्थ शिशु दुनिया में आने से पहले ही काल के गाल में समा गया। साथ ही प्रदेश की लचर व्यवस्था ने उस गर्भस्थ शिशु की मां यानी प्रसूता की भी सांसे छीन ली।
 
इस सारे मामले पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को घेरते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ में 4 साल से हम सिर्फ मौतें देख रहे हैं...। यहां स्वास्थ्य विभाग को खुद, इलाज की जरूरत है। संजीवनी व महतारी एक्सप्रेस नहीं मिलने से प्रसूता की मौत गंभीर घटना है। फिर भी सरकार को फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये जाग रहे होते तो पिछले 3 सालों में 25 हजार आदिवासी बच्चे काल के गाल में नहीं समाए होते। इस प्रदेश का हर एक विभाग व उसकी व्यवस्था, भूपेश की भ्रष्ट सरकार के मार्गदर्शन में दिन पर दिन बदतर होती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के मुखिया; खुद अपने क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं करा पा रहे हैं; इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है। 
 
श्री अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री जी प्रदेश भर में अपना फिसड्डी योजनाओं के नाम से गाल बजाते फिरते रहते हैं, लेकिन इस घटना में प्रसूता को अस्पताल ले जाने के लिए न तो संजीवनी मिली और ना ही महतारी एक्सप्रेस का साथ मिला। सिर्फ यही नही ऐसी न जाने कितनी घटनाएं आये दिन उनकी फेल योजनाओं को उजागर करती रहती है। इतना ही नहीं प्रसूता का पति तमाम स्वास्थ्य केंद्रों व हॉस्पिटलों के चक्कर काटता रहा पर किसी ने उसकी सुध नहीं ली। मेडिकल कॉलेज अस्पताल तक पहुंचने की कोई सही व्यवस्था ना मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई। इस मौत की जिम्मेदार, भूपेश सरकार है। इन्हें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।