प्रदेश सरकार के पास कानून था 69-ए का कि वह इस महादेव ऐप को बैन कर सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने बैन नहीं किया- सिद्धार्थ नाथ सिंह |
प्रदेश सरकार के पास कानून था 69-ए का कि वह इस महादेव ऐप को बैन कर सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने बैन नहीं किया- सिद्धार्थ नाथ सिंह
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मीडिया संयोजक और प्रयागराज के विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि महादेव एप पर प्रतिबंध के सवाल को लेकर उन्होंने (श्री सिंह ने) स्वयं पत्रकारों को प्रेस वार्ता में दो-तीन दफे बताया है कि राज्य सरकार को महादेव एप को बैन करने का अधिकार दिया हुआ है। कल भारत सरकार ने महादेव एप एवं अन्य को बैन किया है। श्री सिंह ने कहा कि मैंने उस समय भी बताया था कि कुछ कारणों से केंद्र सरकार इसको बैन कर सकती है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा, इंटरनल सुरक्षा, कोई रक्षा से संबंधित हो, कोई डाटा चुरा रहा हो या फिर टेररिज्म का कोई विषय आता है।
भाजपा के केंद्रीय मीडिया संयोजक और विधायक श्री सिंह ने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर जी ने भी कल स्वयं कहा है कि 2 साल से राज्य की कांग्रेस सरकार महादेव एप की जांच कर रही थी। प्रदेश सरकार के पास कानून था 69-ए का कि वह इस महादेव ऐप को बैन कर सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने बैन नहीं किया और जब बैन नहीं किया और न ही उसने केंद्र सरकार को कोई रिक्वेस्ट भेजी। यह दोनों चीज कही है। 69-ए के तहत प्रदेश सरकार को अधिकार था जो दिया जाता है, या वह केंद्र को लिखकर भेजती हैं। जब मुख्यमंत्री बूपेश बघेल ने नहीं किया तो ईडी ने केंद्र को चिट्ठी भेजी कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मैटर है और मनी लांड्रिंग के अंदर टेररिज्म मनी लॉण्ड्रिंग भी होती है, केंद्र सरकार ने इसको बैन किया है।
श्री सिंह ने कहा कि अब यह साफ हो गया कि हम जो कह रहे थे, भाजपा जो कह रही थी कि भूपेश बघेल को अधिकार था, उन्होंने वह कार्य नहीं किया है। तो मुख्यमंत्री को जो कार्य दिया गया था, बैन करने का, वह उन्होंने नहीं किया। यह उनकी जिम्मेदारी थी। तो अब मुख्यमंत्री बघेल इसको घुमा नहीं सकते। और क्यों मुख्यमंत्री बघेल इसे बैन नहीं कर रहे थे दो साल से, वह भी अब स्पष्ट हो जाता है, जब महादेव एप के ओनर का एक वीडियो कल दुबई से जारी हुआ है। उसके अंदर उसने साफ बताया है कि किस प्रकार से उसके लोगों को अरेस्ट किया जाता था, किस प्रकार से विनोद वर्मा उसको बातचीत करके बुलाता था, फिर वह उसको मुख्यमंत्री से या मुख्यमंत्री के बेटे से मिलवाते थे. किस प्रकार से एक एसपी उसमें इन्वॉल्व होता था, और वह समय-समय पर अपनी रकम बढ़ा लेते थे, अपनी मांगें मना लेते थे। श्री सिंह ने कहा कि और इसी को हफ्ता वसूली कहते हैं, तो हफ्ता वसूली के मास्टर दो साल से बैन नहीं कर रहे थे, यही कारण है। तो केंद्र पर मुख्यमंत्री बघेल जो थोप रहे थे वह सरासर गलत था, और ये कल भारत सरकार की प्रेस विज्ञप्ति से भी साफ हो गया जो केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिया है।